साहिबगंज : साहिबगंज में चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़े एक मामले में आरोपी कुलदेव साह की दो क्रिमिनल अपील मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में को झारखंड हाई कोर्ट में हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि गुमशुदा दोनों बच्चों के आधार कार्ड का बायोमेट्रिकस यानी फिंगरप्रिंट्स, आंखों के रेटिना आदि के बारे में यूआईडीएआई (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ) से आवेदन देकर जानकारी मांगी गई थी, लेकिन यूआईडीएआई ने कानून का हवाला देते हुए उक्त जानकारी देने से मना कर दिया है.
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इसपर खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए मौखिक कहा कि वर्ष 2014 से दो बच्चों के लापता जैसे संवेदनशील मामलों में यूआईडीएआई को लचीला रुख अपनाना चाहिए ताकि इन बच्चों को ढूंढने में मदद मिल सके. खंडपीठ ने यूआईडीएआई को बच्चों के आधार कार्ड से संबंधित मांगे गए बायोमेट्रिक पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश देते हुए शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार को बताने को कहा है कि दोनों गुमशुदा बच्चों को खोजने के लिए वर्तमान में क्या -क्या कदम उठाए गए हैं एवं दूसरे अन्य बच्चों की ट्रैफिकिंग से बचाव के लिए क्या उपाय किए गए है इसकी जानकारी दे. मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी. साहिबगंज बाल तस्करी मामला: झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई .
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दरअसल, कुलदेव साह व वीरेंन साह के खिलाफ परिवादी एम हेंब्रम ने साहिबगंज कोर्ट में अपने बेटे की चाइल्ड ट्रैफिकिंग करने को लेकर कंप्लेंन केस संख्या 148/ 2022 दर्ज कराई थी. उनका बच्चा वर्ष 2018 से लापता है. वहीं बोरियो थाना में कुलदेव साह एवं पप्पू साह के खिलाफ दर्ज कांड संख्या 2020/ 2022 में बी हंसदा ने अपने छोटे भाई की वर्ष 2014 में लापता होने को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी.