नई दिल्ली। भारत-चीन बॉर्डर पर देपसांग और डेमचोक में दोनों सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया बुधवार को पूरी हो गई। गुरुवार को दिवाली पर चीन और भारत के सैनिक एक-दूसरे को मिठाई खिलाएंगे। पेट्रोलिंग को लेकर जल्द ही ग्राउंड कमांडर के अधिकारियों के बीच बातचीत होगी। ग्राउंड कमांडर में ब्रिगेडियर और उससे नीचे के रैंक के अधिकारी होते हैं।
भारत-चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 27 अक्टूबर को कहा था कि सैनिकों की वापसी पहला कदम है। अगला कदम तनाव कम करना है। ये तनाव तभी कम होगा, जब भारत को यकीन हो जाए कि चीन भी ऐसा ही चाह रहा है। तनाव कम करने के बाद, बॉर्डर को कैसे मैनेज किया जाए, इस पर चर्चा की जाएगी।
जानिए भारत-चीन बॉर्डर पर कैसे पीछे हटीं सेनाएं
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। दो साल की लंबी बातचीत के बाद पिछले दिनों एक समझौता हुआ है। दोनों सेनाएं विवादित पॉइंट्स देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगी।
भारत के 10 सबसे खूबसूरत शाही महल ।
2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था। करीब 4 साल बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि इसका मकसद लद्दाख में गलवान जैसी झड़प रोकना और पहले जैसे हालात बनाना है।
25 अक्टूबर: भारत और चीन की सेनाएं शुक्रवार, 25 अक्टूबर से पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं। गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे ले जाए जा रहे हैं।
आर्मी के सूत्रों के मुताबिक 28 और 29 अक्टूबर तक दोनों देश देपसांग और डेमचोक से अपनी- अपनी सेनाएं पूरी तरह हटा लेंगे। पेट्रोलिंग के लिए सीमित सैनिकों की संख्या तय की गई है। ये संख्या कितनी है, इसकी अभी जानकारी सामने नहीं आई है।
गलवान घाटी-गोगरा हॉट स्प्रिंग्स पर पेट्रोलिंग पर अभी फैसला नहीं
समझौते में लद्दाख के देपसांग के तहत आने वाले 4 पॉइंट्स को लेकर सहमति बन गई है, लेकिन डेमचोक के गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में गश्त को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
डेमचोक: पेट्रोलिंग पॉइंट-14 यानी गलवान घाटी, गोगरा हॉट स्प्रिंग्स यानी PP-15 और PP-17 बफर जोन हैं। रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यहां पर गश्त को लेकर बाद में विचार होगा। बफर जोन यानी ऐसा इलाका जहां दोनों सेनाएं एक-दूसरे के आमने-सामने नहीं आ सकतीं। ये जोन विपक्षी सेनाओं को अलग करते हैं।